महात्मा गांधींनी कपडे न पाहने की शपथ ली थी... !!!
इन तीन औरतों की वजह से,
महात्मा गांधी ने कपड़ें ना पहनने की
आज महात्मा गांधी की पुण्यतिथी है ...उन्हे विनम्रता से प्रणाम ...💐💐💐
औरतों के पास आने के लिए साड़ी नहीं थी ... इस बात को देखकर महात्मा गांधी जी को काफी बड़ी धक्का लगा ...
अहिंसा और एकता में विश्वास रखने वाले महात्मा गांधी जी का पूरा जीवन वैसे तो दुखों से भरा हुआ रहा है ... उन्होंने देश को आजाद कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी ... सत्य, अहिंसा और धर्म के रास्ते पर चलते हुए उन्होंने अंग्रेजों को भारत से भगाकर ही दम लिया ... आपने गांधी जी के कई आंदोलनों के बारे में तो अवश्य ही सुना होगा... इन्ही में से एक था चंपारण आंदोलन ...
आपको बता दें कि इस आंदोलन को अब 100 साल पूरे हो चुके हैं लेकिन गांधी जी के लिए यह सफर आसान नहीं था ... जब वे चंपारण आए थे तो यहां के आम लोग उन्हें जानते भी नहीं थे ... चंपारण आंदोलन के शुरुआती दिनों में महात्मा गांधी को कई प्रकार का संशय था... आपने महात्मा गांधी को जब देखा तो अक्सर धोती में ही देखा होगा... क्या आप जानते है कि इसके पीछे भी एक कारण था... दरअसल इसके पीछे क्या बात है कि महात्मा गांधी ने मरते दम तक सिर्फ धोती ही पहनी थी... आइए जानते हैं...
जब महात्मा गांधी को चंपारण से जाने का मिला था ... नोटिस गांधी जब चंपारण का आंदोलन कर रहे थे तब उनको बहुत परेशान किया जा रहा था ...ऐसे में उनको कई तरह की परेशानियों और प्रताड़नाओं का सामना करना पड़ा था ...गांधी ने तब भी जब उनकी बात ना मानी और आंदोलन में अडिग रहे तब सरकार के द्वारा उनको चंपारण से जाने का नोटिस आया था ...
ऑफिसरों ने मना किया
गांधी जी ने जब मुजफ्फरपुर के कमिश्वर और एक आला अधिकारी से मुलाकात की तो उन लोगों ने इस बात को यहीं खत्म करने को कहा और चंपारण आंदोलन समाप्त करके किसानों की मदद करने को मना किया गया... गांधीने उनकी बातें मानने से मना किया और आगे बढ़ते रहे ...
सत्याग्रह का आगाज़
इसके साथ उन लोगों की बातें ना मानकर गांधीने किसानों के लिए सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत कर दी ... इन दोनो अधिकारियों ने गांधीजी को जब धमकाया तब ये बातें तीन औरतों को पता थी... और ये औरतें ही इसकी गवाह थी ...
जब औरतों के पास नहीं थे कपड़े
सत्याग्रह और चंपारण के आंदोलन के दौरान जो हुआ इसकी गवाही के लिए तीन औरतों को आना था ... उन औरतों के पास आने के लिए साड़ी नहीं थी ... उन तीनों के पास सिर्फ एक ही साबुत साड़ी थी ... ऐसी समस्या होने के बात गवाही पर संकट के बादल उमड़ रहे थें जो कि बहुत जरूरी थी ...
बारी-बारी करके आई औरतें
इसके बाद जो हुआ वो हमारे आपको सोचने पर मजबूर कर देगा... दरअसल उन औरतों ने पहले तो आने से मना कर दिया फिर एक औरत आई जिसके पास साड़ी थी ...उसकी गवाही के वो औरत वापस घर गई और दूसरी को अपनी साड़ी दी ... ऐसे करके एक ही साड़ी पहन कर उन तीनों ने गवाही दी ... इस बात को देखकर गांधी जी को काफी बड़ी धक्का लगा...
इसके बाद बताया गया ही गांधी जी ने देखा की उनके देश की जनता का कितना बुरा हाल है ... गांधी जी ने कहा कि वो भी आज के बाद कपड़े त्याग करके केवल धोती ही पहनेंगें... तब से लेकर अपने मरते दम तक महात्मा गांधीजी ने सिर्फ धोती ही पहनी...
दि .30 जानेवारी 2022
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